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खोज उसे




खोज उसे…(चौपाई )


खोज उसे जो गुणग्राहक हो।

जो गुणसंग्रह के लायक हो।।

अभिवादन मंजूर जिसे हो।

संपादन प्रिय नूर जिसे हो।।


जो सबको सम्मानित करता।

उच्चासन पर स्थापित करता।।

जो भी श्रेष्ठ समझता सब को।

सदा तवज्जो देता जग को।।


जिसमें कुंठा नहीं व्याप्त है।

आत्मतोष  शुभ वृत्ति प्राप्त है।।

जिसका मन है पावन सागर।

कहता रहता उत्तम आखर।।


लोकातीत मूल्य का सेवन।

मनभावन रचना का लेखन।।

पूजन करता इस जगती का।

सहयोगी सारी धरती का।।


सच्चाई का प्रिय अनुरागी।

लौकिक माया का वितरागी।।

ईश्वर का आदर्श जहाँ है।

वह गुणग्राहक खड़ा वहाँ है।।


भावुकता ही अतिशय प्यारी।

मौलिकता ही अति प्रिय न्यारी।।

शिव पावन गुणवान चाहिये।

खोजी को भगवान चाहिये।।


दीन दशा को लख जो रोता।

दुख घावों को दिल से धोता।।

खोजो ऐसे ही प्रियवर को।

गुणसम्पन्न सहज रघुवर को।।


स्वयं स्वर्ग बन जो आया हो।

कुदरत सी करता छाया हो।।

गुण ही जिसका प्रिय भोजन हो।

उच्च भावना शत योजन हो।।





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2 Comments

Renu

23-Jan-2023 04:52 PM

👍👍🌺

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अदिति झा

21-Jan-2023 10:40 PM

Nice 👍🏼

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